Poetry In Hindi

1)
"फिर तेरे इंतज़ार की इन्तिहाँ हो गई,
फिर तेरे आगोश मैं छिपने का एहसास हुआ...
फिर तेरे पास न होने का दर्द हुआ...
तेरे एहसास और दर्द ने एक अजीब सी..
खोमोशी का रूप ले लिया,
इस खामोश दर्द मैं अक्सर
तेरे एहसास का होना...
फिर अचानक से तुम्हारा दूर जाना..
जहा मैं हूँ तेरी खुश्बू है, तेरा एहसास है..
और तुझे न पाने की कसक...!!" 


2)
"तुम्हारी चाहत है कि कोई गज़ल लिखूं तुमपर ।
पर शब्द ही नहीं होठो पे होते कभी मयस्सर ॥
देख कर तुमको दिल में अजीब सा होता है ।
तुम्हारे लिये कोई गज़ल लिखने को दिल करता है ॥
ये दिल बड़ा अजीब है कुछ भी समझ पाता नहीं ।
तुम्हारी याद आते ही कूछ भी याद रहता नहीं ॥
जब तुम हँसती हो लजाती और शरमाती हो ।
घटाएँ प्रेम की मेरे बंजर से दिल पे बरसाती हो ॥
कहने को है बहुत मगर होंठ जुम्बिश कर जाते है ।
तुम्हारी याद आते ही न जाने क्यों मौन हो जाते है ॥" 


3)
"मत पूछो ये मुझसे कि कब याद आते हो ..?
जब जब सांसें चलती है बहुत याद आते हो ...!!
नींद में पलकें होती है जब भी भारी..!!
बन के ख्वाब बार बार नजर आते हो ..!!
महफ़िल में शामिल होते है हम जब भी ..!!
भीड़ में तन्हाईयों में हर बार नजर आते हो ..!!
जब भी सोचा के फासला रखूँ मैं तुमसे ..!!
जिंदगी बन के साँसों में समा जाते हो ..!!
खुद को तूफान बनाने की कोशिश तो की ..!!
बन के साहिल अपने आगोश में समा जाते हो ..!!
चाहा ना था मैंने इसे पहेली में उलझाना ..!!
हर उलझन का जवाब बन के उभर आते हो ..!!
तुम्हारी कसम बहुत बहुत याद आते हो ..!!
अब ना पूछना मुझसे कि कब कब याद आते हो ..!!" 


4)
"इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेरा, कभी लगा नहीं
लिखी थी कवितायेँ ,
संजोये थे कई सपने
मिलेगी कोई शह्जादी ख्वाबों की
सुनाता जिसे अरमान अपने
मुद्दतों से तलाश में हूँ मगर,
इस तरह से अपना कोई लगा नहीं
इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेरा, कभी लगा नहीं" 


5)
"खुद को इतना भी मत बचाया कर, बारिशें हो तो भीग जाया कर।
चाँद लाकर कोई नहीं देगा, अपने चेहरे से जगमगाया कर।
दर्द हीरा है, दर्द मोती है, दर्द आँखों से मत बहाया कर।
काम ले कुछ हसीन होंठो से, बातों-बातों मे मुस्कुराया कर।
धूप मायूस लौट जाती है, छत पे किसी बहाने आया कर।
कौन कहता है दिल मिलाने को, कम-से-कम हाथ तो मिलाया कर।" 


6)
"मौका था बातें बताने का,
टूटा आईना दिखाने का,
फुर्सत ना पायी कभी रोने की,
मेंरा पेशा था हसाने का,
दास्ताँ ख़ूबां की कहें ना कोई,
इल्जाम पाया दिल जलाने का,
ना थी तवक़्क़ो ये हश्र की,
हस हस के रोना जताने का,
फुर्सत ना पायी जिगर रोंदने की,
पेशा था वादा निभाने का,
तेरी अज़मत ले मुझे आयी है,
होगा इंतजाम दिल बसाने का !!" 


7)
"दुःख आया है तो पीछे सुख भी लायेगा जरूर,
गर दर्द है तो मरहम लगाने से जायेगा जरूर !!

बैठ के किनारे पर कुछ भी हासिल नहीं होता,
जो उतरा समंदर में वही मोती पायेगा जरूर !!

एक भूखे को रोटी का टूकडा मिल जाए काफी है,
सुखी रोटी में पकवान का ज़ायका आयेगा जरूर !!

कैद में रहके परिंदा भूल जायेगा ना परवाज अपनी,
गर हौसला हो बुलंद, तोड़ कफ़स उड़ जायेगा जरूर !!

आँख मूंदे कहीं पे भी चलना समझदारी तो नहीं,
युही चलता रहा, एक दिन ठोकर खायेगा जरूर !!" 


8)

"उलझनों और कश्मकश में..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए..
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का ...
मिलेगी कामयाबी, हौसला कमाल का लिए बैठा हूँ l
चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक..
गिरेबान में अपने, ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक ...
मुझे क्या फ़िक्र.., मैं कश्तीया और दोस्त... बेमिसाल लिए बैठा हूँ..." 


9)
"हर मेरे शे'र पर आ कर उसने तफ़्सीर रखी थी,
जिस शे'र में उनकी और मेरी तक़दीर लिखी थी,

वस्ल की ख़ुशी और हिज्र का ग़म भी लिखा था,
हर वो जगह लिखी थी जहाँ जहाँ वोह दिखी थी,

महफ़िल की रौनक भी, आँखों की मयकशी भी,
जिक्र मीना का भी किया था मैय जिसमे चखी थी,

तब्बसुम ओठो की,नजाकत भी बयाँ की थी उसमें,
यह भी कहा था दास्ताँ-ए-इश्क़ में कैसी सखी थी,

अब वोह किसी और की है तो क्या? मुहब्बत तो है,
पल पल को याद करके शे'रो में कहानी लिखी थी !!!!" 


10)

"बहुत बेहतरीन कविता है

तू जिंदगी को जी उसे समझने की कोशिश न कर
सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन उसमे उलझने की कोशिश न कर

चलते वक़्त के साथ तू भी चल उसमे सिमटने की कोशिश न कर
अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर

मन में चल रहे युद्ध को विराम दे खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर

जो मिल गया उसी में खुश रह जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर
रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर..."
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