1)
"यदीच्छसि वशीकर्तुंं जगदेकेन कर्मणा |
परापवादससेभ्यो गां चरन्तीं निवारय ।।
अर्थ: यदी किसी एक काम से आपको जग को वश करना है तो परनिन्दारूपी धान के खेत में चरनेवाली जिव्हारूपी गाय को वहाँं से हकाल दो अर्थात दुसरे की निन्दा कभी न करो।।"
2)
"जिंदगी में जो चाहो हासिल कर लो, बस इतना ख्याल रखना कि,
आप की मंजिल का रास्ता, लोगो के दिलों को तोड़ता हुआ न गुजरे.."
3)
"परवाच्येषु निपुण: सर्वो भवति सर्वदा आत्मवाच्यं न जानीते जानन्नपि च मुह्मति ।।
अथाँत: हर एक मनुष्य दुसरेके दोष दिखानेमे प्रविण होता है| अपने खुदके दोष या तो उसे नजर नही आते, या फिर वह उस दोषोंको देख ही मूढ फरता है."
4)
"रिश्तों की रस्सी कमज़ोर तब हो जाती है...
जब इन्सान....
ग़लत फ़हमी में पैदा होने वाले सवालों के ज़वाब भी ख़ुद बना लेता है...."
5)
"आईना भी भला कब किसी को सच बता पाया है !
जब भी देखो दायां तो बायां ही नज़र आया है। "
6)
"चंद लाइनें बहुत ही खूबसूरत अगर आप तक पहुँच सकें....।
फजूल ही पत्थर रगङ कर आदमी ने चिंगारी की खोज की,
अब तो आदमी आदमी से जलता है..!
मैने बहुत से ईन्सान देखे हैं,जिनके बदन पर लिबास नही होता।
और बहुत से लिबास देखे हैं,जिनके अंदर ईन्सान नही होता।
कोई हालात नहीं समझता ,कोई जज़्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ की बात है...,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,तो कोई पूरी किताब नहीं समझता!!
"चंद फासला जरूर रखिए हर रिश्ते के दरमियान!
क्योंकि"नहीं भूलती दो चीज़ें चाहे जितना भुलाओ....!...
..एक "घाव"और दूसरा "लगाव"..."
7)
"शुभप्रभातम्
हर सच्चाई के पीछे एक हिंमत होती है और हर जुठ के पीछे एक डर । सच्चाई कडवी दवाई की तरह होती है जैसे एक कडवी दवाई शरीर में जाते ही असर दिखाती है वैसे ही सच्चाई को अपनाते ही हिंमत और विश्वास का अनुभव होता है।
॥ जय श्री कृष्ण: ॥"
"यदीच्छसि वशीकर्तुंं जगदेकेन कर्मणा |
परापवादससेभ्यो गां चरन्तीं निवारय ।।
अर्थ: यदी किसी एक काम से आपको जग को वश करना है तो परनिन्दारूपी धान के खेत में चरनेवाली जिव्हारूपी गाय को वहाँं से हकाल दो अर्थात दुसरे की निन्दा कभी न करो।।"
2)
"जिंदगी में जो चाहो हासिल कर लो, बस इतना ख्याल रखना कि,
आप की मंजिल का रास्ता, लोगो के दिलों को तोड़ता हुआ न गुजरे.."
3)
"परवाच्येषु निपुण: सर्वो भवति सर्वदा आत्मवाच्यं न जानीते जानन्नपि च मुह्मति ।।
अथाँत: हर एक मनुष्य दुसरेके दोष दिखानेमे प्रविण होता है| अपने खुदके दोष या तो उसे नजर नही आते, या फिर वह उस दोषोंको देख ही मूढ फरता है."
4)
"रिश्तों की रस्सी कमज़ोर तब हो जाती है...
जब इन्सान....
ग़लत फ़हमी में पैदा होने वाले सवालों के ज़वाब भी ख़ुद बना लेता है...."
5)
"आईना भी भला कब किसी को सच बता पाया है !
जब भी देखो दायां तो बायां ही नज़र आया है। "
6)
"चंद लाइनें बहुत ही खूबसूरत अगर आप तक पहुँच सकें....।
फजूल ही पत्थर रगङ कर आदमी ने चिंगारी की खोज की,
अब तो आदमी आदमी से जलता है..!
मैने बहुत से ईन्सान देखे हैं,जिनके बदन पर लिबास नही होता।
और बहुत से लिबास देखे हैं,जिनके अंदर ईन्सान नही होता।
कोई हालात नहीं समझता ,कोई जज़्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ की बात है...,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,तो कोई पूरी किताब नहीं समझता!!
"चंद फासला जरूर रखिए हर रिश्ते के दरमियान!
क्योंकि"नहीं भूलती दो चीज़ें चाहे जितना भुलाओ....!...
..एक "घाव"और दूसरा "लगाव"..."
7)
"शुभप्रभातम्
हर सच्चाई के पीछे एक हिंमत होती है और हर जुठ के पीछे एक डर । सच्चाई कडवी दवाई की तरह होती है जैसे एक कडवी दवाई शरीर में जाते ही असर दिखाती है वैसे ही सच्चाई को अपनाते ही हिंमत और विश्वास का अनुभव होता है।
॥ जय श्री कृष्ण: ॥"
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